Sunday 22 May 2016

  यह भी सच है :

१७ जून १६२९ मेँ मुम्ताज़ महल अपने १४वेँ
संतान को पैदा करते ही मर गईं उसके बाद से २ साल तक शाहजहां ने ना हीँ ज़ेवर पहने ना तो खाना खाया और ना ही ईत्त्र लगाया।फिर शाहजहां ने मुम्ताज़ की ख्वाईश(एक ऐसे कब्र मेँ उन्हेँ दफनाया जाए जो इस दूनिया मेँ सबसे अनोखा हो)पूरी की उन्होंने संगेमर पत्थरोँ से ताज़ महल बनवाया, जिसे बनने मेँ १२ वर्ष लग गया (सन्‌ १६४३ई॰) शाहजहां जिसने तीस वर्ष तक राज किया उसे मुम्ताज़ के बेटे ने ही कारागार में डाल दिया।शाहजहां बुढ़ा हो चुका था वो जेल की खिड़की से अपनी बीवी के मख्बरे(ताज़ महल) को देखता और उसे याद करता।अंत में जब शाहजहां ७४ वर्ष का हो गया तो उसने जिन्दगी से दम तोड़ दिया और दूर्भाग्यवश वह भेट-ए-अल्लाह हो गया।उसकी कब्र भी मुम्ताज़ के साथ ताज़ महल में बना दी गई। 
सच है अगर अच्छा लगे तो Share कीजिए॥ 

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